मजदूर माँ...............|

गोद में बालक उसका, सिर में मजबूरी थी,
वो सिर्फ माँ ही नही, देश कि एक नारी थी।

दूध से पेट नही भरता तेरा, भोजन तुझे कराना है,
इसीलिए बेटा तेरी माँ को ये बोझ उठाना है।

भूखा अपना पेट रखकर, खाना तुझे खिलाती है,
वो तो सिर्फ माँ है यारो,जो मजदूर कहलाती है।

दिनभर थक हारकर, घर जब वो जाती है,
खुद के नंगे पांवो से, तुझको चलना सिखाती है।

दुनिया कि तकलीफो से तुझको ये लड़ना सिखाती है,
तभी तो ये मजदूर, तेरी
माँ कहलाती है.......।।

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