First Story of my School Life..................||

 First story.....


मुझे याद है 2010 में हाईस्कूल पास करने के बाद, सबसे बड़ा सवाल यही था कौन सी side जाए Arts या Science, जो बच्चे पढ़ने में अच्छे वो science side जा रहे थे और जो थोड़े कमजोर वो Art side. और जो थोड़े बहुत बचे थे वो Teachers पे निर्भर थे जहां भेजें वहां जाए।

अब बचा मैं, Average student of class मैंने Science में जाने का निर्णय लिया, लेकिन science में गणित लूं या जीवविज्ञान सवाल यहां आकर रुक गया और सोचने को लिया गया एक दिन............।

अगले दिन तक गणित से पढ़ने का फैसला, ये फैसला मेरे लिए बहुत बड़ा था क्योंकि इससे पहले मैं हाईस्कूल में जब फेल हुआ था उन विषयों में गणित पहले स्थान में था, हां पहला बोले तो मैं तीन विषयों में फेल था। सोचने वाली बात थी दूसरी बार पास होने के बावजूद में 11th में Maths पढ़ने का फैसला किया, जो हालांकि आज कारगर साबित हुआ है।

वो स्कूल सर्वोदय इंटर कालेज था, जहां ये सब मेरे साथ घटित हो रहा था, पहली बार उससे भी यही मिला था, हां इसी 11th (B) में section अलग-अलग लेकिन Class एक.... ये वही class है जहां से एक failure ने पढ़ना शुरू किया जहां से शायद वो लेखक बनने को प्रेरित हुआ......|

हम Class  में 40 बच्चे थे, जब हमने Lab पहली बार देखी थी। Chemistry Lab, जमन सिंह सिजवाली जी chemistry teacher पहली बार लैब में उनके साथ ही गया था, और Physics lab, रिंकु मैम physics teacher.  इनके साथ physics lab में गया। हम biology वाले थे नहीं तो कभी वहां जाने जैसा नहीं हुआ।

हम class में चार दोस्त थे, सोनू, अनू, भानू और मैं। हम सभी भानू को अक्सर जंगली कहते थे क्योंकि उसकी हरकतें ही कुछ ऐसी थी, हम चारों एक साथ स्कूल आते और स्कूल से भाग जाया करते थे जिसको convent school वाले bunk मारना कहते हैं। मेरी एक दोस्त और थी, कंचन बिष्ट हम ज्यादातर tuition में ही साथ रहे, स्कूल में ज्यादातर बोलना कम ही रहा। 

ये सब वैसै मेरे जूनियर थे क्योंकि मैं हाईस्कूल में दुसरे साल मिला इन सबको, तो हुआ ना में सीनियर। ऐसा नहीं है हाईस्कूल के बाद फेल नहीं हुआ, फिर में एक साल 12th में फेल हुआ जब ये सब लोग पास होकर इस स्कूल से चले गए, इनका bad luck. मैंने अपने ही साथ के 3 बैच को यहां से जाते हुए देखा है। मैंने हारकर भी जीतना इसी स्कूल से सिखा है, मैं दो-दो बार फेल हुआ लेकिन इसका मतलब ये नहीं मैंने हार मान ली, मैं कोशिश करता रहा कुछ नया सिखता रहा, फेल होने से कुछ नहीं होता है बस तुम्हारे दोस्त दो कदम आगे चले जाते हैं। मुझे फेल होने का दुख कभी नहीं हुआ क्योंकि शायद कभी कभी फेल होना हमें मजबूत बनाता है और गलतीयो को सुधारने का मौका देता है, शायद इसी कारण फिर में कभी फेल नहीं हुआ।

मैंने अपनी जिंदगी के 6 साल (2008-2013) सर्वोदय में बिताये जो सबसे हसीन सालों में से एक हैं,जो में कभी नहीं भूल सकता। सबसे यादगार साल 2010-2013 तक रहा। 


जहां तक मुझे याद है, वो हमेशा हम सबसे कुछ अलग ही रही,

Class में सब में कुछ special था, पर वो उन सब में कुछ खास रही।

Physics, Chemistry, Hindi, English choice मेरी best थी,

Math-Biology में ज़िन्दगी मेरी हमेशा से कुछ अलग रही।।


School days 

Sarvodaya Inter College Jainti Almora..........

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