इंजीनियरिंग हर किसी को अपने पास नही बुलाती है।
इंजीनियरिंग रुकना नही, आगे बढना बताती है,
यारो के संग ना सही,यादो में जीना सिखाती है,
वो कालेज वो assignment सब एक धोखा थे,
असल में जिंदगी एक यादो कि किताब बनाती है।
3 या 4 सालो में नही, कुछ रातो में इंजीनियर बनाती है,
Topper से नही, back वाले से पार्टी कराती है,
आगे बैठकर top करते थे सब, अक्सर
लेकिन जिन्दगी जीना, back bench ही सिखाती है।
एक अलग ही शक्स से हमारी पहचान कराती है,
जो सोया हुनर है, उसको इंजीनियरिंग जगाती है,
कभी open mic, कभी standing comedy तो कभी पढाई
इन सभी से तो हमें जिन्दगी इंजीनियर बनाती है।
पहले कभी रैगिंग कर हमें बहुत रुलाती है,
कुछ सालो बाद यही बात हमें खुब हसाती है,
जो शक्स सीधा हो उसे भी टेड़ा बनाती है
यही तो हमें दुनिया से जुडना सिखाती है।
इंजीनियरिंग हर किसी को अपने पास नही बुलाती है।
यारो के संग ना सही,यादो में जीना सिखाती है,
वो कालेज वो assignment सब एक धोखा थे,
असल में जिंदगी एक यादो कि किताब बनाती है।
3 या 4 सालो में नही, कुछ रातो में इंजीनियर बनाती है,
Topper से नही, back वाले से पार्टी कराती है,
आगे बैठकर top करते थे सब, अक्सर
लेकिन जिन्दगी जीना, back bench ही सिखाती है।
एक अलग ही शक्स से हमारी पहचान कराती है,
जो सोया हुनर है, उसको इंजीनियरिंग जगाती है,
कभी open mic, कभी standing comedy तो कभी पढाई
इन सभी से तो हमें जिन्दगी इंजीनियर बनाती है।
पहले कभी रैगिंग कर हमें बहुत रुलाती है,
कुछ सालो बाद यही बात हमें खुब हसाती है,
जो शक्स सीधा हो उसे भी टेड़ा बनाती है
यही तो हमें दुनिया से जुडना सिखाती है।
इंजीनियरिंग हर किसी को अपने पास नही बुलाती है।
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